भारतीय इतिहास

सिंधु घाटी सभ्यता :



भारत की सबसे पुराणी सिंधु घाटी की सभ्यता थी।  यह मिश्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओ के साथ-साथ ३३५० - २७५० ई. पू. पनप।  भारत की इस प्राचीन सभ्यता का पता १९२२ ई. में डा. आर. डी. बैनर्जी द्वारा मोहन जोदड़ो, सिंध प्रान्त के लरकाना जिले तथा डा. डी. आर. साहनी ने हड़प्पा, पंजाब के मोंटगोमरी जिले में खुदाई से पता चला। यह दोनों स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में है। लेकिन इस सभ्यता का विस्तार क्षेत्र वर्तमान के सिंध, बलुचिस्तान, पंजाब, राजस्थान तथा काठियावाड़ तक था।

वैदिक सभ्यता:



वैदिक सभ्यता भारत में सिंध और पंजाब की सरस्वती नदियोंके बीच फली है।  प्रो. मैक्स मूलर ने विश्व की विभिन्न भाषाओ के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है की आर्य, यूनानी, परसियन, अंग्रेज आदि एक ही स्थान अर्थात मध्य एशियासे निकले हुए है। २५०० ई. पू. आर्य लगभग भारत आये। ऋग्वेद का रचना काल २५०० ई. पू. है।  ऋग्वेद के बाद यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की रचना हुई। ऋग्वेद विश्व की सबसे पुराणी पुस्तक है। इसमें १०२८ सूक्त है। वैदिक सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी। यह सिंधु घाटी की तरह शहरी सभ्यता नहीं थी।

महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय :



इस धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्म ५६३ ई. पू. कपिल वस्तु के निकट लुम्बिया गांव में (वर्तमान उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर के उत्तर में स्थित) शाक्य राजा शुद्धोधन, माता महामाया के घर हुआ। यशोधरा से विवाह व एक पुत्र राहुल के उत्पन्न होने के पश्चात् घर त्याग दिया। बचपन का नाम गौतम था। आधुनिक गया के निकट उरुवेला के जंगल में ज्ञान प्राप्त हुआ। पहला प्रचार उन्होंने सारनाथ (वाराणसी) में दिया। ४८३ ई. पू. कुशीनगर में उनकी मृत्यु हो गई।

जैन धर्म :



जैन धर्म के २४ तीर्थकर हुए है। प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव जिन्हे 'आदिनाथ' भी कहते है। २३ वे तीर्थकर पार्श्वनाथ थे तथा २४ वे व अंतिम तीर्थकर स्वामी महावीर थे जैन धर्म का प्रवर्तक स्वामी महावीर ही है। स्वामी महावीर का जन्म ५९९ ई. पू. वैशाली के राज परिवार में कुण्डल ग्राम के नजदीक वैशाली में हुआ। उनकी माता त्रिशला व पिता सिद्धार्थ थे।