भारतीय इतिहास
मराठा राज्य
मराठो का उत्कर्ष :
महान सेनानायक छत्रपति शिवाजी ने अपने बाहुबलसे १६७४ ई. में दक्षिण भारत में मराठा राज्य की स्थापना की थी। छत्रपति शिवाजी (१६७४-८० ई.) के पश्चात उनका ज्येष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी (१६८०-८९ ई.), कनिष्ठ पुत्र छत्रपति राजाराम (१६८९-१७०० ई.), छत्रपति राजाराम महाराज की पत्नी ताराबाई (१७००-१७०७ ई.) तथा छत्रपति संभाजी का पुत्र शाहू (१७०७-४८ ई.) मराठा शासक रहे।
छत्रपति शिवाजी (१६७४-८० ई.) अहमदनगर के सरदार शहाजी भोसले के पुत्र थे थे। उन्होंने मुसलमानोंसे युद्ध करके अपना राज्य कायम कर लिया। उन्होंने अफजल खान तथा शाइस्तेखाँ को मारा। मिर्जा राजा जयसिंग ने उन्हें धोके से पकड़वा दिया परन्तु वह चालाकी से आगरे के किले से बच निकले। १६७४ ई. में रायगढ़ के किले में उन्होंने छत्रपति (राजा) की उपाधि धारण की ओर १६८० ई. में उनकी मृत्यु हो गई।
शिख राज्य
सिख पंथ की स्थापना एव गुरु:
सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव थे उनका जन्म १४६९ ई. में तलवंडी (जिला शखपुरा, पाकिस्तान) जिसे आजकल ननकाना कहते है, में हुआ था। चिंतन तथा भ्रमण द्वारा उन्होंने बहुत ज्ञान प्राप्त किया और सिख पंथ की नीव डाली। वे समाज सुधारक थे और जाति-पाति तथा छुआछूत में विश्वास नहीं करते थे। सिख पंथ में दस गुरु हुए है। प्रथम गुरु नानक देव (१४६९-१५३८), दूसरे गुरु अंगद देव (१५३८-१५५२), तीसरे गुरु अमरदास (१५५२-१५७४), चौथे गुरु रामदास (१५७४-१५८१), पांचवे गुरु अर्जुनदेव (१५८१-१६०६), छटे गुरु हरगोविंद (१६०६-१६४५), सातवे गुरु हरराय (१६४५-१६६१), आठवे गुरु हरकिशन (१६६१-१६६४), नवें गुरु तेजबहादुर (१६६४-१६७५), दसवे गुरु गोविन्द सिंह (१६७५-१६०८), पांचवे सिख गुरु अर्जुनदेव ने अमृतसर में गुरु रामदास द्वारा शुरू किये गये स्वर्ण मंदिर को पूरा किया।
भारत में यूरोपियो का आगमन
पुर्तगाल राज्य :
भारत में प्रथम यूरोपियन का पदार्पण अफ़्रीकी तट का चक्कर लगाकर, एक भारतीय नाविक की सहायता से जलमार्ग द्वारा हिंदुस्तान के तट पर पहुंचने वाला वास्को-डी-गामा भारत में पहला यूरोपियन आगन्तुक था।
गोवा पर विदेशी प्रभुत्व :
भारत में संपर्क के पश्चात आरम्भ में व्यापार तथा ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले पुर्तगालियों के गवर्नर अल्बुकर्क ने १५१० ई. बीजापुर के शासक से गोवा छीन लिया तथा गोवा पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
फ्रांसीसी राज्य :
यूरोपियनो में से सबसे अंत में फ़्रांस के लोग भारत आये थे और उन्होंने १६६४ में अपनी कम्पनी स्थापित की तथा १६७३ ई. में पॉन्डिचेरी तथा १६९०-९२ ई. में बंगाल में चंद्रनगर में स्थापित किया। १७४२ ई. में डूप्ले नामक फ्रेंच गवर्नर भारत में आया और उसने अंग्रेजो को भारत से निकलने की ठानी।
अंग्रेज-प्रभुत्व की स्थापना :
ईस्ट इंडिया कंपनी जिसका निर्माण १६०० ई. में ब्रिटिश सरकार द्वारा चार्टर प्रदान करने के परिणामस्वरूप हुआ था, १६१२ में सूरत में पहली फैक्ट्री स्थापित की तथा आगरा, अहमदाबाद, भड़ौच, मद्रास, कोलकाता आदि में अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। सर्वप्रथम १७५७ ई. में बंगाल पर विजय के उपरान्त उन्होंने मराठा, राजपूत, सिख आदि सभी राजनीतिक शक्तियों को निरन्तर पराजित किया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम :
१८५७ में भारत के लगभग सभी हिस्से में से स्वतंत्रता के लिए विद्रोह हुआ। इसमें बहादुरशाह जफ़र को केंद्रीय नेता माना गया। रानी झांसी ने ग्वालियर, बेगम हजरत महल ने लखनऊ, तात्या टोपे व नाना साहब ने कानपूर, कुंवर सिंह ने जगदीशपुर इत्यादि स्थानों पर नेतृत्व किया। भारतीयोमे राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। सन१८५७ ई. के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के उपरान्त भारत का शासन ब्रिटिश साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 'कंपनी' के हाथ से लेकर अपने अधीन कर लिया। इसके साथ ही इस विशाल देश पर इंग्लैंड का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित हो गया।
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